जानिए एकमुश्त खेती के बारे में
एकमुश्त खेती:-
एकमुश्त खेती का मतलब है जिस फसल को बोने का समय है उस फसल को सारे खेत में एकदम बो देना।
एकमुश्त खेती के लाभ -
1-सारे खेत की बिजाई एकदम हो जाएगी
2- एक बार में निराई गुड़ाई
3 एक बार में फसल की कटाई
4- एक साथ फसल की बिक्री
नौकरीपेशा और बिजनेसमैन जिनके पास खेती लायक जमीन है उनके लिए यह ठीक है एकमुश्त खेती
जिनके पास 8-10 एकड़ जमीन है और वो केवल खेती किसानी के ऊपर निर्भर हैं उनके लिए यह ठीक नहीं है |
90% किसान यही करते हैं यही वजह है किसानो के घाटे और गरीबी की
क्योंकि एकमुश्त खेती की हानियाँ--
1-कई बार फसल को ज्यादा दिन तक नहीं रोक सकते बेचना पड़ता है -फसल के भाव नहीं मिलते
2-यदि किसी बीमारी का प्रकोप होता है तो सारी फसल चौपट
3-प्राकर्तिक आपदा जैसे ज्यादा बारिश ,ओले गिरना --तो सारी फसल ख़राब
एकमुश्त खेती का मतलब है--जुआ
कुछ लोग एकमुश्त खेती मैं भी कमा रहें हैं -
उसके पीछे कारण है उनकी मेहनत,रीसर्च ,जूनून और समय
रायबरेली जिले की अहमदपुर गाँव के किसान वीरेंद्र कुमार चौधरी ने कई औषधीय पौधों की व्यावसायिक खेती करके ना केवल पारंपरिक खेती की तुलना में अच्छा मुनाफा कमाया बल्कि आस पड़ोस के किसानों को औषधीय खेती के गुर सिखाकर उनकी सहायता भी की। रायबरेली जिला मुख्यालय से करीब 17 किमी. दक्षिण दिशा में अहमदपुर गाँव के वीरेंद्र चौधरी तीन हेक्टेयर खेत में पिछले दस वर्षों से औषधीय खेती कर रहे हैं।
वीरेंद्र की सफलता पर सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिसिनल एंड एरोमेटिक प्लांट (सीमैप) के वरिष्ठ वैज्ञानिक एके सिंह बताते हैं, ''शुरुआत में जब वीरेंद्र यहां पर आए तो उनकी गिनती छोटे किसानों में होती थी, लेकिन धीरे-धीरे औषधीय पौधों की खेती की ट्रेनिंग कर उन्होंने अपने लिए अच्छा व्यवसाय खड़ा कर लिया है। वीरेंद्र की सफलता दूसरे किसानों के लिए एक अच्छी सीख है।"
आठ एकड़ ज़मीन में वीरेंद्र कुमार तुलसी, ऐलोवेरा, अश्वगंधा, सतावर, कालमेघ, पामारोज़ा, जीरेनियम, कैनोमिल व आर्टीमीशिया औषधीय पौधों की खेती करते हैं। वीरेंद्र शुद्ध सतावर से बना च्यवनप्राश, अश्वगंधा पाउडर, औषधीय तेल खुद बना कर लखनऊ व कानपुर में बेचते हैं। औषधीय खेती के लिए उन्नत किसान वीरेंद्र का तजुर्बा वीरेंद्र मुख्य रूप से तुलसी व कालमेघ जैसी औषधीय फसलों की खेती करते हैं।
वीरेंद्र इसकी बुआई जून-जुलाई माह के मध्य में शुरू करके नवंबर तक पूरा कर लेते हैं। फसल तैयार होने में 90 से 100 दिनों का समय लगता है। दिसंबर में इसकी कटाई पूरी हो जाती है। तुलसी व कालमेघ का भाव अच्छा मिलता है इसलिए वीरेंद्र इन फसलों को ज्यादा उगाते हैं। कालमेघ का बाजार भाव 30 रुपए प्रति किलो मिलता है व तुलसी के तेल का रेट 400 से 500 रुपए मिलता है। वीरेंद्र कालमेघ व तुलसी का तेल लखनऊ व बरेली के व्यापारियों को बेचते हैं
जल्दी पैसे कमाने के लिए करें आर्टीमीशिया की खेती कम समय में अच्छा मुनाफा कमाने के लिए वीरेंद्र बताते हैं, ''अगर किसी किसान के पास कम खेती है और उसे जल्दी पैसे कमाने हैं तो आर्टीमीशिया की खेती से किसान को बहुत फायदा हो सकता है। आर्टीमीशिया की खेती 90 दिनों में पूरी हो जाती है और इसके बीज भी आसानी से मिल जाते हैं। हम इसकी खेती मध्यप्रदेश की दवाई कंपनी (इपका) से अनुबंध पर करवाते हैं। इससे बीज भी मुफ्त में मिल जाता है।
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